Thursday, August 5, 2010

जब तेरी याद आती है......

जब यूंही कभी बैठे बैठे, अचानक कुछ याद आ जाए..
हर बात से दिल बेजार सा हो, हर चीज़ से ये दिल घबरा जाए...
करना मुझे कुछ और हो...और मुझसे कुछ और ही हो जाए...
कुछ और सोचू दिल में...और होठो पे कुछ और ही आ जाए...
ऐसे ही किस्से एक लम्हे में..चुपके से कभी ख़ामोशी में...
कुछ बीते लम्हे याद आते है...........जब तेरी याद आती है...

जब शाम ढले चलते चलते, मंजिल का ना कोई नाम मिले...
इक हँसता हुआ आगाज़ मिले..इक रोता हुआ अंजाम मिले..
पलकों से छलकते आंसुओं से..इस दिल को जब कोई पैगाम मिले...
और सारी वफाओ के बदले मुझे ही कोई इल्जाम मिले....
कुछ बीते लम्हे याद आते है ....जब तेरी याद आती है.

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