Tuesday, June 29, 2010

अनुकृति नहीं है........

अनुकृति नहीं है जिसकी वह रूप तुमने पाया,
उपमेय सब सिमट कर उपमान में समाया,
उसके कला की सचमुच अंतिम निखार हो तुम,
अगर रूप की है सीमा, सीमा के पार हो तुम |

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